स्वामी विवेकानंद ( जन्म 12 जनवरी 1863 मृत्यु : 4 जुलाइ 1902) वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे उनका वास्तविक नाम नरेंद्रनाथ दत्त था उनॉने अमेरिका स्थित सिकाँगो मे सन 1893 मे आयोजित विशव धर्म महासभा मे भारत की तरफ से सनातन धर्म का प्रतिनिध किया था भारत का वेदांत अमेरिका और यूरोप के हर एक देश मे स्वामी विवेकानंद के कारण ही पहुँचा उनॉने रामकृष मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना कम कर रहा है वे रामकृष परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे उनके घर का नाम नरेंद्र नाथ था उनके पिताश्री विशव नाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता मे विसवाश रखते थे वे अपने पुत्र नरेंद्र को भी अँग्रेजी पड़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के ढर्रे पर चलाना चाहते थे नरेंद्र की बुध्दी बचपन से बड़ी तीव्र थी और उनमे परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी इस हेतु वे पहले ब्रह्म समाज मे गये किंतु बहा उनके चित्त को संतोष प्राप्त नही हुआ देवयोग से विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई घर का भार नरेंद्र पर आ पड़ा घर की दशा बहुत खराब थी
यात्राएं _ 25 वर्ष की अवस्था मे नरेंद्र ने गेरुआ वस्त्र धारण कर लिया तत्पश्चात उनॉने पेदल ही पूरे भारत वर्ष की यात्रा की सन 1893 मे सिकाँगो अमेरिका मे विशव धर्म महासभा हो रही थी स्वामी विवेकानंद उसमे भारत के प्रतिनिधि के रुप मे पहुँचे यूरोप अमेरिका के लोग उस समय पराधीन भारत वासियों को बहुत हीन द्रष्टि से देखते थे बहा लोगो ने बहुत प्रयास किया की स्वामी विवेकानंद को सर्व धर्म महासभा मे बोलने का समय ही न मिले एक अमेरिका प्रोफेसर के प्रयास से उन्हे थोड़ा समय मिला किंतु उनके विचार सुनकर सभी लोगो चकिंत रह गये फिर तो अमेरिका मे उनका अत्यधिक स्वागत हुआ बहा इनके भक्तो का एक बड़ा समुदाय हो गया
यात्राएं _ 25 वर्ष की अवस्था मे नरेंद्र ने गेरुआ वस्त्र धारण कर लिया तत्पश्चात उनॉने पेदल ही पूरे भारत वर्ष की यात्रा की सन 1893 मे सिकाँगो अमेरिका मे विशव धर्म महासभा हो रही थी स्वामी विवेकानंद उसमे भारत के प्रतिनिधि के रुप मे पहुँचे यूरोप अमेरिका के लोग उस समय पराधीन भारत वासियों को बहुत हीन द्रष्टि से देखते थे बहा लोगो ने बहुत प्रयास किया की स्वामी विवेकानंद को सर्व धर्म महासभा मे बोलने का समय ही न मिले एक अमेरिका प्रोफेसर के प्रयास से उन्हे थोड़ा समय मिला किंतु उनके विचार सुनकर सभी लोगो चकिंत रह गये फिर तो अमेरिका मे उनका अत्यधिक स्वागत हुआ बहा इनके भक्तो का एक बड़ा समुदाय हो गया
No comments:
Post a Comment